गेहूं की खेती की जानकारी Wheat Farming in India
आइए किसान दोस्तो हम जानते है गेहूं की खेती करके अच्छा उत्पादन कैसे ले सकते है भारत में गेहूँ की फ़सल एक मुख्य फसल है। गेहूँ का लगभग 97% क्षेत्र सिंचित है। गेहूँ का उपयोग अपने जीवनयापन हेतु मुख्यत रोटी के रूप में प्रयोग करते हैं, जिसमे प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। भारत में पंजाब, हरियाणा मध्यप्रदेश उत्तर प्रदेश की मुख्य फसल उत्पादक क्षेत्र हैं।
गेहूं की खेती कैसे करे?
Gehun ki kheti करने के लिए हमे बहुत सी बातों को ध्यान रखना होता है और गेहूं खेती की तैयारी से लेकर बुवाई के सही तरीके का अगर किसान ध्यान रखें तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। तो आइए जानते है गेहूं खेती केसे करें
इसकी खेती किस महीने में की जाति है ?
Gehun की बुवाई 25 अक्तूबर से नवंबर के महीने में की जाती है गेंहूं की बुवाई सही समय पर करना जरूरी होता हैं पिछेती बुवाई से फसल की पैदावार कम होती हैं
Gehun की खेती के लिए मौसम और जलवायु कैसी होनी चाहिए ?
इसकी फ़सल एक ठण्डी एवं शुष्क जलवायु की फसल है और फसल की बुवाई के समय 20 से 28 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए और अधीक तापमान होने पर फसल जल्दी पक जाती है गर्म जलवायु गेहूं के लिए उचित नहीं होती, क्योंकि ऐसे क्षेत्रों में फसल में रोग ज्यादा लगते है।
गेहूं के खेत की तैयारी कैसे करें ?
अच्छे बीज अंकुरित हो उसके लिये एक बढ़िया और भुरभुरी मिट्टी वाला खेत का चुनाव करना चाहिए ओर समय पर जुताई खेत में नमी के लिए भी जरूरी होती है।खेत की तैयार करते समय खेत खरपतवार नहीं होना चाहिए।
उसके बाद खेत में पुरानी गोबर की खाद को डाल कर उसे अच्छे से मिट्टी में मिला दें खाद को मिट्टी में मिलाने के लिए खेत में कल्टीवेटर के माध्यम से दो(2) से तीन(3) जुताई करवा देना चाहिए जुताई के बाद पाटा देकर खेत को एक समान समतल कर लेना चाहिए।
Gehu ki kheti में बीज की मात्रा एवं बीज उपचार कैसे करे ?
इसकी बुवाई करते समय यह ध्यान रखें की बीज साफ ओर खरपतवारों के बीजों से रहित होना चाहिए कटे-फटे बीजों को निकाल देना चाहिए हमेशा उन्नत,प्रजातियों का चयन करना चाहिए एक हेक्टेयर के लिए लगभग 100 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती बोनी के लिए प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करना चाहिए जो उपचारित रहते है
गेहूं की अच्छी उपज हेतू उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए
राज-4238
यह किस्म राज-4238 को पकने में 110 से 115 दिन लगते हैं। अगर भुरभुरी और उपजाऊ मिट्टी हो तो 45-50क्विंटल प्रति हैक्टेयर की उपज हो सकती है।
राज-4037
यह किस्म 120से 125 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं और इसकी रोटी भी नरम और अच्छी बनती है ओर इसका उत्पादन 75 से 80 कुंटल प्रती हेक्टयर होता हैं ।
पूसा तेजस
यह किस्म 110 से 115 दिन पक कर तैयार हो जाती हैं । गेहूं की पूसा तेजस किस्म में कल्ले की अधिकता होती है, इसके एक पौधे में 10 से 12 कल्ले होते । ओर यह किस्म प्रति हेक्टेयर 65 से 75 कुंटल जाती है ।
लोक1(वन)
यह गेहूं की किस्म 100 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है ओर 40 से 45 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज देती है, यह किस्म बहुत देरी से जनवरी के प्रथम सप्ताह तक बुवाई के लिये भी आप उपयोग कर सकते है ओर इसकी रोटी मुलायम ओर स्वाद में भी अच्छी होती है।
पूसा पूर्णा HI 1544
यह गेहूं की किस्म 110 से 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है ओर 50 से 55 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज देती है, गेहूं की यह किस्म सिंचित क्षेत्रों और समय पर बुवाई नवम्बर के प्रथम पखवाड़े तक के लिये उपयुक्त है। ओर इसकी रोटी मुलायम ओर स्वाद में भी अच्छी होती है।
गेहूं में कितनी सिंचाई की आवश्यकता होती है?
Gehu ki kheti में 5 से 6 बार सिंचाई कि आवश्यकता होती है
गेहु फ़सल की बुवाई करने पर ओर उसके बाद सिंचाई- 20 से 25 दिन बाद ओर 45 से 50 दिन बाद पुष्पावस्था मे और उसके बाद के 70से 80 दिन पर (दुग्धावस्था)।
अंतिम सिंचाई- बुआई के 115 से 120 दिन पर (दाना भरते समय) करनी चाहिए ।
गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण कैसे करे ?
इसकी फसल में रबी के समय उगने वाले सभी खरपतवार लगते हैं। इनकी रोकथाम निराई गुड़ाई करके की जा सकती है, लेकिन कुछ रसायनों का प्रयोग करके रोकथाम किया जा सकता है जैसे की पेंडामेथेलिन 30 ई सी 3.3 लीटर की मात्रा 800-1000 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हैक्टर की दर से बुवाई के बाद करना चाहिए
गेहूं में खाद एवं उर्वरक
Gehun ki fasal गेहूं की फ़सल में पैदावार खाद एवं उर्वरक की मात्रा के पर भी बहुत निर्भर करती है. गेहूँ में हरी खाद, जैविक खाद एवं रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता है. खाद एवं उर्वरक की मात्रा गेहूँ की किस्म से अच्छी उपज लेने के लिए भूमि में कम से कम 35-40 क्विंटल गोबर की अच्छे तरीके से सड़ी हुई खाद 50 किलो ग्राम नीम की खली और खादों को अच्छी तरह मिलाकर खेत में बिखेर लें. जिस से की उपज अधीक हों
गेहूं में लगने वाले रोग और कीट एवं उनका नियत्रण कैसे करें ?
इसकी फसल में कीट व रोगों की प्रकोप की वजह से उत्पादन में बेहद कमी आती है इसलिए सही समय पर इनकी पहचान कर उचित फसल प्रबंधन करना बेहद जरूरी होता है
पत्ती धब्बा रोग
इस रोग की प्रारम्भिक अवस्था में पीले व भूरापन लिये हुए अण्डाकार धब्बे नीचे की पत्तियों पर दिखाई देते है बाद में धब्बो का किनारा कत्थई रंग का तथा बीच में हल्के भूरे रंग का हो जाता है रोग के नियंत्रण हेतु थायोफिनेट मिथाइल 70 प्रतिशत डब्लू0पी0 700 ग्राम अथवा जीरम 80 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 2.0 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर लगभग 750 ली0 पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए
गेरूई या रतुआ रोग
गेरूई भूरे, पीले अथवा काले रंग की होती है. फॅफूदी के फफोले पत्तियों पर पड़ जाते है जो बाद में बिखर कर अन्य पत्तियों को ग्रसित कर देते है. रोकथाम के लिए बुवाई समय से करें फसल पर इस रोग के लक्षण दिखायी देने पर छिडकाव करें यह रोग जनवरी के अन्त या फरवरी मध्य में आता है
प्रमुख कीट
दीमक कीट
सफेद रंग का कीट है जो इकट्ठा होकर रहते हैं. सूखे की स्थिति में दीमक के प्रकोप की सम्भावना ज्यादा होती है. ये कीट जम रहे बीजों को व पौधों की जड़ों को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं.रोकथाम खेत में कच्चे गोबर का प्रयोग नहीं करना चाहिए खड़ी फसल में प्रकोप होने पर सिंचाई के पानी के साथ क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई0सी0 2.5 ली0 प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करना चाहिए
तना छेदक-
यह भी गेहूं के प्रमुख कीटों में शामिल कीट है, यह गेहूं के तने को खाकर नुकसान पहुचता है रोकथाम- फसल की फुटान शुरू होते ही क्यूनालफॉस 25 ई सी एक लीटर का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने से तना छेदक की रोकथाम कर सकते हैं
गेहूं की फसल की कटाई
जब गेहूँ के दाने पक कर सख्त हो जाए उस समय फसल की कटाई करनी चाहिये.ओर गेहूँ को पकने के बाद खेत में नहीं छोड़ना चाहिये, फसल को खलिहान में चालित थ्रेशर से निकाल लेना चाहिए जाती है
गेहूं की उपज ओर भण्डारण
यदी किसान भाई इन बातो का ध्यान रख कर समय समय पर फसल प्रबंध कर के 70से 80 कुंतल उपज ले सकता है ओर उपज को बखारी या बोरो में भर कर साफ सुथरे स्थान पर सुरक्षित कर सूखी नीम कि पत्तियों को बिछाकर करना चाहिए
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मोबाइल नं. 8224917065, 7999707851
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