सोयाबीन की खेती की जानकारी
किसान भाइयो सोयाबीन की फसल के बारे में कहा जाता है की यह पीला सोना है| लेकिन क्या आपको पता है की सोयाबीन की फसल में ज़्यादा मुनाफा एवं अधिक उपज लेने के लिए किन- किन बातों का ध्यान रखना चाहिए| तो आइये आज हम जानते है| की सोयाबीन की फसल से किसान भाई केसे अधिक फ़ायदा ले सकते है| हम सोयाबीन की बुआई से लेकर कटाई तक की सभी महत्वपूर्ण जानकारी को इस पोस्ट में शेयर करने वाले है |
सोयाबीन एक तिलहनी फसल है| और मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और बिहार सहित भारत के कई राज्यों में उगाई जाती है। भारत में सोयाबीन का उत्पादन लगभग 12 मिलियन टन होने का अनुमान है, जिसमें मध्य प्रदेश सबसे अधिक उत्पादक है, इसके बाद महाराष्ट्र और राजस्थान का स्थान है। अकेले मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खेती भारत में कुल सोयाबीन उत्पादन का 45% योगदान देती है।
सोयाबीन फसल के लिए खेत तैयारी
वर्षा आने से पहले किसान भाई गर्मी के दिनों में अपने खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी कर ले इसके लिए आप रोटावेटर या पाटा लगा सकते है इससे बीज अंकुरण अच्छा होता है और यदि आपके पास गोबर की खाद उपलब्ध हो तो आप प्रति एकड़ 2 ट्रोली खाद वर्षा से पहले खेत में बिखेर सकते है | इसके अलावा आप केचुआ खाद का प्रयोग करते है | तो आपको प्रति एकड़ 7.5 किवंटल खाद की जरूरत पड़ेगी यह खाद 45 से 60 दिन में तैयार हो जाती है| इस में 3% नाइट्रोजन,2%फास्फोरस,2%पोटाश पाया जाता है| जो की सोयाबीन की फसल के लिए बहुत ही लाभदायक है |
अब आप जुताई करने के बाद प्रति एकड़ 200 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट खाद डाल सकते है ,क्योंकि इसमें 16 प्रतिशत फॉस्फोरस की मात्रा होती है। वहीं 11 प्रतिशत सल्फर की मात्रा होती है। इसके अलावा 19 प्रतिशत कैल्शियम और 1 प्रतिशत जिंक की मात्रा होती है। जो कि सोयाबीन के लिए अत्यंत लाभदायक है|
सोयाबीन बुवाई का समय और विधि
सोयाबीन की बुवाई आपको 4-5 इंच वर्षा होने पर 20 जून से 10 जुलाई के बीच में ही करनी चाहिए सोयाबीन की बुवाई आपको हमेशा सिड्रिल से ही करना चाहिए | अगर हम बात करें लाइन से लाइन की दूरी की तो लाइन से लाइन की दूरी 16 इंच रखनी चाहिए ,इससे अच्छा उत्पादन मिलता है इसलिए आप लाइन से लाइन की दूरी 16 से14 इंच ही रखें,और पौधों से पौधों की दुरी 4 से 5 सेमी.रखे एव बीज को 2 से 3 से.मी गहराई में बोये, बुवाई के समय डीएपी और M.O.P खाद का प्रयोग करना चाहिए प्रति एकड़ आप 30 किलोग्राम डीएपी और 20 किलोग्राम M.O.P खाद का प्रयोग कर सकते है प्रति एकड़ बीज दर की बात करें तो 1 एकड़ में 40 से 50 किलोग्राम सोयाबीन बीज की आपको बुआई करना चाहिए
उन्नत किस्मों का चयन
किसान भाइयो बीज का चयन करना बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय होता है क्यों की जैसा हम बोते है वेसा ही तो काटेगे इसके लिए आपको हमेशा उन्नत एव प्रमाणित बीज को ही उपयोग में लाना चाहिए और किस्मो के चयन करने से पहले अपने क्षेत्र तथा जलवायु व मिट्टी के प्रकार के बारे में अच्छे से जानकारी होना जरुरी है क्यों की कई जगह जल भराव तो कई जगह जल्दी सूखने वाली मिटटी या ढालू क्षेत्र होते है साथ ही कई बारिश आधिक तो कई कम होती है| इसलिए हमें कितने दिनों की किस्म हमारे लिए उपयुक्त है उसकी जानकारी होना आवश्यक है | तो चलिए निचे हम किसानो की कुछ पसंदीदा किस्मो के बारे में जानते है जो कम समय में भी अधिक उपज देती है
JS-2034 सोयाबीन
- यह एक हेक्टेयर में 24-25 क्विंटल उत्पादन देने की क्षमता रखती है
- पौधों की ऊंचाई 75-80 से.मी होती है।
- बुवाई के लिए 30-35 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ पर्याप्त हैं।
- फसल की कटाई 87-88 दिन में हो जाती हैं।
- इस किस्म में फूल का रंग सफ़ेद तथा फलिया फ्लैट होती है
- यह क़िस्म पीला विषाणु रोग, चारकोल सड़न, पत्ती धब्बा एवं कीट प्रतिरोधी है
- यह किस्म कम वर्षा होने पर भी अच्छा उत्पादन देती है।
आर.वी.एस 2001-4 सोयाबीन
- सोयाबीन की ये किस्में 95 से 100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
- यह किस्म 26 से 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देने की क्षमता रखती है
- पौधों का पीला हो जाना, जड़ सड़न रोग और इल्ली का इस किस्म पर कम प्रभाव होता है
- अधिक बारिश के समय खेतों में पानी भर जाने पर फसल गलेगी नहीं।
- खेत से पानी सूखने पर भी पौधा जल्दी नहीं सूखेगा।
- यह किस्म पानी भराव और सूखे में संतुलित होगी।
- इसके पौधे 50 से 60 सेमी. के ऊचाई के होते है
- इसमें लगने वाले फूल सफ़ेद रंग के और फली चकनी तथा बीज गहरे पीले रंग के होते है।
- फलियो के चटकने की समस्या नहीं है
JS-9560 सोयाबीन
- बुवाई के लिए बीज की मात्रा 40-45 किलों बीज प्रति एकड़ पर्याप्त हैं।
- सोयाबीन का उत्पादन एक एकड़ में 10-12क्विंटल तक होता हैं।
- पौधों की ऊँचाई-45-50 से.होती है
- इस किस्म के दाने का रंग पीला होता है।
- 100 दानों का वज़न 13-15 ग्राम, अंकुरण क्षमता 85-90 प्रतिशत,
- फसल की कटाई 80-85दिन में हो जाती हैं।
- इस किस्म फूल का रंग बैंगनी होता है।
- यह किस्म कम वर्षा होने पर भी अच्छा उत्पादन देती है।
राज प्रज्ञा 18 सोयाबीन
- सोयाबीन की यह नयी उन्नत किस्म है
- फसल अवधि 91 से 95 दिन की होती है।
- पौधे की ऊंचाई 50-60 सेंटीमीटर तक होती है
- 22 से 27 क्विंटल प्रति हेक्टियर उत्पादन
- इस क़िस्म के फूलों का रंग सफेद होता है
- पत्तियों का आकार तीखी सकरी होती है।
- फलिया चटकने (शेट्रिंग ) की समस्या नही होती है।
- पोधो की उचाई अच्छी होने से हार्वेस्टर से काटने योग्य फसल होती है।
- पीला मोजेक ,कालर रॉट एवं रूट रॉट के प्रति सहनशीलता का विशेष गुण है।
आर.वी.एस 24 सोयाबीन
- गर्मी में भी 10 से 12 क्विंटल एकड़ उत्पादन देने वाली यह एकमात्र किस्म है।
- इसका उत्पादन 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है
- उत्पादन 4.5 से 5 क्विंटल प्रति बीघा (22500 वर्ग फीट बीघा)
- दाने का आकार गोल, मध्यम -100 दानों का वजन 10 से 11 ग्राम
- दाने का रंग पीला चमकदार, नाभिका (हायलम) का रंग काला,अंकुरण क्षमता लगभग 80 से 85%
- पत्तियों का आकार मध्यम गोल फुला का रंग सफ़ेद
- फूल आने की अवधि 32 से 36 दिन होती है।
- येलो मोजेक, कॉलर रॉट एवं रूट रोट के प्रति सहशीलता का विशेष गुण।
ब्लैक बोल्ड सोयाबीन
- इस किस्म की फसल 85-90 दिन की होती है।
- यह किस्म 22-27क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देने की समता रखती है
- ये अपने उच्च तेल और प्रोटीन सामग्री के लिए जाना जाता है।
- तनावपूर्ण परिस्थितियों में भी उच्च पैदावार देती है।
- दाने का रंग गहरा भूरा होता है
- यह किस्म जड़ सड़न और सफेद फफूंदी सहित सोयाबीन के अधिकांश सामान्य रोगों के लिए भी प्रतिरोधी है |
JS-2069 सोयाबीन
- यह किस्म 94 दिन में पक्कर तैयार हो जाती है |
- इस किस्म का दाना चमकदार होता है |
- 100 दानों का वजन 10 से 11 ग्राम होता है |
- फूल आने की अवधि 40 दिन की होती है |
- इस क़िस्म के फूलों का रंग सफेद होता है |
- फलियों के भूरे रंग के फटने की समस्या नहीं होती है |
- यह रोग प्रतिरोधक क्षमता और उच्च उत्पादन क्षमता के कारण किसानों के लिए वरदान है |
सोयाबीन का बीज उपचार
किसान भाइयो विभिन प्रकार के कीटो व रोगों से बचाव के लिए बीजो को उपचारित करना बहुत जरुरी प्रक्रिया है आप अपनी बीजो को उपचारित करने के लिए इन विधियों का प्रयोग कर सकते है
- बीज उपचार के लिए आप थायरम प्लस कार्बेंडाजिम का प्रयोग 3 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से प्रयोग कर सकते हैं
- सबसे बेस्ट रहेगा कि आप फंगीसाइड का प्रयोग 2ml प्रति किलोग्राम की दर से उपयोग कर सकते है |
- सोयाबीन के बीजो को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना आवश्यक है।
- फफूंदनाशक दवाओं और कल्चर को एक साथ न मिलाएं।फफूंदनाशक दवाओं के बाद बीजो को कल्चर से उपचारित करें।
- एक किलो सोयाबीन के बीज को 5 ग्राम पी एस बी जीवाणु टीके से भी उपचारित करना चाहिए।
सोयाबीन कि खेती में खरपतवार नियंत्रण
सोयाबीन में खरपतवार को नियंत्रण करना बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि अगर खरपतवार को नियंत्रण नहीं करते हैं तो यह पैदावार को 30 से 40% तक कम कर देता हैं| खरपतवार नियंत्रण के लिए आप निदाई गुड़ाई का तरीका भी अपना सकते है और आप रासयनिक दवाइयों से भी खरपतवार को नियंत्रण कर सकते हैं| आप सोयाबीन की बुवाई के 24 घंटे के अंदर खरपतवार नाशक का उपयोग न करें, क्योंकि अगर आप सोयाबीन उगने के बाद खरपतवार नाशक का उपयोग करेंगे तो उससे सोयाबीन की फसल को झटका लगेगा और इसका उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा। आप बुवाई के 1-2 दिन के बाद खरपतवार का प्रयोग कर सकते हैं उसके बाद 45 दिनों तक खेत में कोई भी खरपतवार नहीं उगेगा |
खाद का उपयोग
किसान भाइयो अगर आप की फसल थोड़ी कमजोर है उसमें पीलापन है तो आप प्रति एकड़ 30 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग कर सकते हैं उसके अलावा आप एनपीके घुलनशील खादों का प्रयोग स्प्रे के माध्यम से समय-समय पर करते रहे 20 से 25 दिनों के बाद आप प्रति एकड़ 1 किलोग्राम एनपीके 19:19:19 का स्प्रे करें और 50 दिन के बाद प्रति एकड़ 1 किलोग्राम 05: 234 खाद का प्रयोग करें 65 से 70 दिन के बाद प्रति एकड़ एक किलोग्राम 00:50 खाद का प्रयोग स्प्रे के माध्यम से करें और अगर आपको फसल कमजोर दिखती और फसल में दाना अच्छे तरीके से नहीं दिखता है तो 60 दिनों के आसपास आप प्रति एकड़ 10 किलोग्राम कैल्शियम नाइट्रेट का प्रयोग कर सकते हैं सोयाबीन को नाइट्रोजन की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है इसलिए सोयाबीन में ज्यादा नाइट्रोजन का प्रयोग आप ना करें तो ही अच्छा रहेगा
सोयाबीन फसल के लिए कीट नियंत्रण
कीटों व रोगों को नियंत्रण करने के लिए हमें समय-समय पर स्प्रे करने की आवश्यकता होती हैं सोयाबीन की फसल में पहला स्प्रे आपको बुआई से 25 से 30 दोनों के बीच में करना चाहिए| दूसरा स्प्रे आपको बुआई के 40 से 45 दिनों के बिच में करना है अगर इस के बाद भी आप को कीटो का प्रकोप दिखे तो आप को तीसरा स्प्रे बुवाई के 60 से 65 दिनों के बिच करना चाहिए
चक्र्भंग (गर्डल बीटल)
इसे किसान भाई रिंग कटर के नाम से भी जानते हैं इसकी पहचान बड़ी आसनी से किसान भाई कर सकते हैं जब पुरे खेत में देखते है तो पोधे में कई-कई पर तीन पती सुखी हुई दिखती है जिसे देखने पर पता लगता है की पतों के निचे सिरे में कट लगा है जिसे देख आप चक्र्भंग का पता लगा सकते हो| इस से बचाव के लिए आप सायपरमेथ्रिन का एक लीटर प्रति हेक्टेयर अथवा थयक्लोप्रिड का छिड़काव कर सकते है |
पिला मोजक
यह एक विषाणु जनित रोग है यह रोग एक पौधे से दुसरे पौधे में फेलता है और धीरे धीरे पूरी फ़सल में फेल जाता है यह रोग सफ़ेद मक्खी के द्वारा फेलता है यदि आप कि फ़सल में कुछ ही पौधो में ये रोग दिखता है तो आप उन पौधो को तुरंत ही उखाड़ दे यदि यह रोग जादा पौधो में फेल जाये, तो आप बिना देरी किए तुरंत ड़ाइमेथोएट एवं मेटासिस्टोक्स 500-600 मि.ली. दवा या थायोमेथोक्साम 100 ग्राम दवा को 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते है
तंबाकू इल्ली
तंबाकू इल्ली हल्के भूरे रंग कि होती हैं यह इल्ली रात के समय फ़सल को नुकसान पहुचाती है, यह तेजी से पत्तियों को खाती हैं। इस के कारण पत्तियों का रंग पीला पड़ जाता है इससे बचाव के लिए आप प्रति एकड़ 180 मिलीलीटर स्पाइनेटोरम 11.7 एस.सी या प्रति एकड़ फ्लूबेंडियमाइड 39.35 % को 60-70 मिलीलीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।
सेमीलूपर इल्ली
सोयाबीन की फसल में इन का प्रकोप अगस्त से सितम्बर के महीने में ज्यादा देख ने को मिलता है यह हरे रंग की इल्ली होती है इससे बचाव के लिए आप इल्लियों की शुरूआती अवस्था में बैसिलस थुरिजिंएसिस ब्लूबेरिया बेसियाना 1लीटर या 1कि.प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें।
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5 Responses
👍
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